Yusuf

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पति पत्नी एक सम्मान



* जब पति ही इज्जत नहीं देगा तो पत्नी को इज्जत कहां से मिलेगी*

" तुम मेरे साथ मत खड़ी रहा करो। अजीब जोड़ी लगती है। लोग देखकर हंसते हैं। कई लोग तो यहां तक कह चुके हैं कि मां बेटे की जोड़ी है। कम से कम तुम प्लीज अपनी थुल थुल काया को कम करो"
समर का ये कहना हुआ कि सभी लोग जोर-जोर से हंस दिए। सारे हंसी ठहाकों की गूंज के बीच मानसी उदास बैठी हुई थी। उसके हाथ खाते खाते रुक गए। प्लेट को एक तरफ कर उठ खड़ी हुई। अभी-अभी उसके पति समर ने सबके सामने उसका मजाक बनाया था। इस कारण बड़ी ननद चंचल की इतनी हिम्मत हो गई।
" देखो तो, भाभी नाचते हुए कैसी लग रही है? ओह गाॅड! दिस इज सो फनी"
चंचल ने मानसी का वीडियो दिखाते हुए कहा तो सब लोग फिर से हंस दिए। 
आज छोटी ननद मेघा की सगाई थी। जाहिर सी बात है मानसी इस घर की इकलौती बहू है तो उसे तो भाग भाग कर काम करना था। लेकिन अभी आठ महीने पहले ही उसने बेटे को जन्म दिया था। इस कारण उसका शरीर फूल चुका था। यहां तक कि भाग भाग कर काम करने के कारण सांस भी फूलने लगी थी। 
"भाभी ने तो खाने पीने का पूरा मजा लिया है। नाश्ता भी कर लिया, खाना भी खा लिया। और देखो अब दोबारा खाने बैठ गई"
मेघा ने कहा।
"अब भाभी दोबारा खाने बैठ ही गई हो तो पूरा खाकर ही उठो। क्यों प्लेट को एक तरफ करके खड़ी हो रही हो "
चंचल ने दोबारा हंसते हुए कहा।
बस ऐसा लग रहा था जैसे पूरा ससुराल एक साथ इकट्ठा हो गया हो उसका मजाक बनाने के लिए।
थोड़ी देर पहले ही मेघा के ससुराल वाले सगाई का प्रोग्राम निपटाकर यहां से रवाना हुए हैं। घर के सारे रिश्तेदार मौजूद थे।
"तुम लोगों को और कोई काम नहीं है क्या। बस बैठ गए यहां हंसी मजाक करने के लिए। जाओ फटाफट सब सामान सही जगह पर रखो। थोड़ी देर में हमें भी रवाना होना है"
आखिर सास अनीता जी के डांट पर सब लोग वहां से उठे और सामान अपनी अपनी जगह पर रखना शुरू किया। तभी अनीता जी मानसी से बोली,
" बहू इस तरह खाते समय बीच में प्लेट को छोड़कर उठना नहीं चाहिए। पहले इसे खत्म करो और फिर मुन्ने को संभालो और घर जाओ। यहां का काम ये लोग देख लेंगे "
"पर मम्मी जी मुझे अब भूख नहीं है "
  मानसी रुआंसी होकर बोली।
" बेटा अभी मुन्ना छोटा है। तुम्हारा दूध पीता है तो भूख लगना नॉर्मल सी बात है। ये लोग नहीं समझेंगे। तुम खाओ बाकी मैं देखती हूं कि कौन तुम्हारा मजाक बनाता है। पर एक बात जरूर कहूंगी। जवाब देना सीखो। पति है तो क्या कुछ भी बोलेगा"
अनीता जी ने मानसी की तरफ प्लेट सरका कर कहा। अनीता जी के मनाने पर मानसी दोबारा खाना खाने बैठ गई। इतने में समर उसके पास आया और धीरे से उससे बोला,
" फिर से बैठ गई। अरे कुछ तो अपनी हेल्थ का ध्यान रखो"

तब अनीता जी ने उसे घूर कर देखा तो वो चुपचाप वहां से चला गया। मानसी ने खाना खाया और मुन्ने को लेकर अनीता जी और अपनी छोटी बहन निधि के साथ घर रवाना हो गई। घर जाकर मुन्ने को दूध पिलाकर सुला दिया।

तब तक सब लोग घर आ गए। आते ही सबने काॅफी के डिमांड कर दी। मानसी रसोई में गई और सबके लिए कॉफी बना कर ले आई। अभी बाहर सबको कॉफी सर्व कर ही रही थी कि आखिर में समर को काॅफी देने गई। लेकिन पैर मेट में उलझ गया और वो गिर गई। 
उसके गिरते ही सब लोग हंस दिए। जबकि समर उसे उठाने की जगह जोर से चिल्लाया,
" बस! कोई काम ढंग से नहीं होता। गिरा दी ना काॅफी। खा खाकर मोटी हुए जा रही हो। अपना खुद का शरीर तक संभाल नहीं पा रही हो। घर तो क्या ही संभालोगी तुम "
"पता नहीं कैसे पैर मेट में उलझ गया। मैं दूसरी कॉफी बना कर लाती हूं"
मानसी कप के टुकड़े समेटते हुए बोली।
" क्या भाभी, इतना मोटापा भी किस काम का जब खुद को ही संभाल नहीं पा रही हो। थोड़ा तो अपने शरीर की तरफ ध्यान दो"
चंचल ने कहा।
"चंचल चुप कर। भाभी है वो तुम्हारी"
अनीता जी बीच में ही बोली।
"इसे समझाना अपना सिर फोड़ने के बराबर है। क्या खुद को नहीं दिखता कि शरीर कैसा होता जा रहा है"
समर फिर बोला।
" समर उसे डांटने की जगह उसे उठाने में उसकी मदद करता तो ज्यादा बेहतर होता "
अनीता जी ने समर को डांटते हुए कहा।
" क्या मम्मी, हर बात में तुम उसका पक्ष ले लेती हो। उसे समझाने की जगह उसे सिर पर चढ़ा रही हो। इसीलिए यह ऐसी होती जा रही है"
समर चिढ़ते हुए बोला। लेकिन तब तक मानसी की आंखों में आंसू आ गए थे। उसने कप के टुकड़े समेटे और जाकर अपने कमरे में बैठ गई। निधि भी उसके पीछे-पीछे कमरे में आ गई,
" दीदी आप जीजा जी को बोलती क्यों नहीं हो। वो आपका इस तरह से मजाक कैसे बना सकते हैं "
पर मानसी ने कुछ नहीं कहा। और चुपचाप लेट गई। दूसरे दिन सुबह निधि ने कहा,
" दीदी मैंने मम्मी से बात कर ली है। मैं यहीं से कॉलेज चली जाती हूं। और वहां से छुट्टी के बाद सीधे घर रवाना हो जाऊंगी "
" ठीक है। मैं नाश्ता बना देती हूं। तुम फटाफट खाकर रवाना हो जाना। पर जाओगी कैसे? "
मानसी ने पूछा।
" अरे जाएगी कैसे से क्या मतलब? मैं कॉलेज छोड़ आता हूं। आखिर इतना तो अपनी साली साहिबा के लिए कर ही सकता हूं"
समर ने बीच में ही कहा।
" नहीं जीजा जी, मैं केब बुक कर लेती हूं। मैं अकेले ही चली जाऊंगी। आप तो रहने ही दो"
निधि ने कहा।
"अरे क्यों? मेरे रहते तुम क्यों परेशान होंगी। मैं छोड़ आता हूं ना तुम्हें कॉलेज। वहां से फिर चले जाना तुम घर पर"
समर ने कहा।
" नहीं जीजा जी, बेवजह मेरे फ्रेंड्स मजाक बनाएंगे‌। जीजा जी के सिर पर बाल कम है ना इसलिए..."
कहते-कहते निधि चुप हो गई। उसकी इस बात से समर झेंप गया। तभी चंचल बीच में बोली,
" निधि तुम्हें शर्म नहीं आती भैया के लिए ऐसी बात बोलते हुए। वो तुम्हारे जीजा जी लगते हैं। थोड़ी इज्जत देना सीखो। और भाभी आप यहां खड़ी-खड़ी सुन रही हो। ऐसा नहीं कि अपनी बहन को रोक दो। अपने पति की इज्जत करवाना आपके हाथ में है"
चंचल की बात सुनकर मानसी ने उसकी तरफ देखा और कहा,
" वाह दीदी, जब बात अपने भाई पर आई तो आप इतनी समझदारी की बातें कर रही हो। यही बात आप अपने भैया को नहीं समझा सकती थी कि अपनी पत्नी की इज्जत करना उनके हाथ में है। अगर पति इज्जत देता है तो पत्नी को ससुराल में सम्मान मिलता है। बल्कि आप तो उनके साथ मिलकर मेरा मजाक बना रही थी"
मानसी ने कहा तो चंचल चुप हो गई। वही समर भी नजर झुकाए चुपचाप बैठ गया। तभी अनीता जी बोली,
" शाबाश बहू! आज तुम कम से कम अपने लिए बोली तो सही"
फिर समर से बोली,
" जो बातें पत्नी पर लागू होती है, वही बातें पति पर भी लागू होती है। तुम अपने जीवनसाथी को सम्मान दोगे तो ही तुम्हारे परिवार वाले उसे सम्मान देंगे। शरीर का क्या है? आज फूल गया है तो कल वापस ठीक भी हो जाएगा। लेकिन ये बातों की चोट दिल पर से कभी नहीं जाएगी। अपनी पत्नी के सम्मान का ध्यान तुम्हें ही रखना है। तुमने उसका मजाक बनाया तभी तुम्हारी बहनों की इतनी हिम्मत हुई। अगर तुम टोक देते तो मजाल है कि कोई तुम्हारी पत्नी को कुछ कहा जाए"
आखिर अनीता जी की बात पर समर ने मानसी से माफी मांगी और वादा किया कि आइंदा वो उसका मजाक नहीं बनाएगा।

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